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CBIC ने GSTR-1 दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाई
गुड्स एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क (GSTN) पोर्टल में आ रही तकनीकी दिक्कतों के कारण केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने GSTR-1 रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा बढ़ाने का फैसला किया है। यह कदम उन करदाताओं को राहत प्रदान करने के लिए उठाया गया है, जो पोर्टल की समस्याओं के कारण अपने रिटर्न समय पर दाखिल नहीं कर पा रहे थे।
तकनीकी समस्याएं बनी बड़ी चुनौती
GSTN पोर्टल, जो कि करदाताओं के लिए रिटर्न दाखिल करने और कर अनुपालन के लिए मुख्य प्लेटफॉर्म है, हाल के दिनों में कई तकनीकी समस्याओं का सामना कर रहा है। करदाताओं ने शिकायत की थी कि पोर्टल बार-बार ठप हो रहा है और डेटा फाइलिंग प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो रही है।
इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, CBIC ने GSTN से तकनीकी रिपोर्ट मंगवाई और करदाताओं को राहत देने के लिए GSTR-1 की अंतिम तिथि आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।
नई समय सीमा
CBIC के अनुसार, मासिक रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं के लिए GSTR-1 की नई समय सीमा अब 13 जनवरी 2025 तय की गई है। वहीं, तिमाही आधार पर रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं के लिए यह समय सीमा 15 जनवरी 2025 कर दी गई है।
करदाताओं के लिए राहत: CBIC ने GSTR-1 दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाई
यह निर्णय उन व्यवसायों और कर विशेषज्ञों के लिए राहत लेकर आया है, जिन्हें पोर्टल की तकनीकी समस्याओं के कारण रिटर्न दाखिल करने में परेशानी हो रही थी। इससे करदाता अपने रिटर्न बिना किसी अतिरिक्त दबाव के समय पर दाखिल कर सकेंगे।
CBIC और GSTN की सलाह
CBIC और GSTN ने करदाताओं को सलाह दी है कि वे इस अतिरिक्त समय का उपयोग करते हुए जल्द से जल्द अपने रिटर्न दाखिल करें। कर अनुपालन सुनिश्चित करने और संभावित जुर्माने से बचने के लिए, निर्धारित समय सीमा से पहले रिटर्न दाखिल करना आवश्यक है।
आगे की दिशा
GST पोर्टल पर तकनीकी समस्याओं को दूर करने के लिए GSTN और CBIC लगातार प्रयास कर रहे हैं। करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे CBIC और GSTN की आधिकारिक वेबसाइट्स पर अपडेट्स और सूचनाओं पर नज़र बनाए रखें।
निष्कर्ष: CBIC ने GSTR-1 दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाई
CBIC का यह कदम करदाताओं के हित में एक सकारात्मक निर्णय है। इससे न केवल कर अनुपालन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि व्यवसायों को पोर्टल की समस्याओं के बीच राहत भी मिलेगी। उम्मीद है कि GSTN पोर्टल की समस्याएं जल्द ही हल होंगी और करदाताओं को भविष्य में ऐसी कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा।